Tuesday, March 11, 2008

फीर तेरी याद आई .....

सुनने को जब धुन्दू कोई
रोने को सर धुन्दू कोई
दर्द छुपाने को परदा धुन्दू कोई
याद करने को याद धुन्दू कोई

धुन्दू में कई चीज़ें

पर तेरा साथ है हर पल
इसका यकीन है मुझे हर पल
कहनो को शब्द नही
बतलाने का साहस नही

शब्द की कमी , साहस की कमी नही खलती फीर भी
नही लगता बुरा लोगो की बेपर्वाई भी
बस तेरे आंचल और सख्त हाथ की याद आती है
आँचल था ऐसा जो मेरे वजह से हर वक्त गन्दा था
हाथ जो मुझे छुकर नर्म पड़ जाता था

सबकी कीमत अब याद आती है
तुझे ना खो दू डर लगता है
रहने है तुझे मेरे साथ यह तो पक्का है