Thursday, April 3, 2008

उड़ चला कोई ...

दिल के नजदीक जलती है एक चिंगारी
सबसे बेखबर परदे के पीछे चलती है एक कृत्य
सूखे रेगिस्तान में तड़प रहा एक उदर
बंद संदूक के अन्दर शोर है एक विचित्र
शांत झील के किनारों में हो रहा है कोई कम्पन
छुने को जग सारा उड़ चला कोई कटी पतंग

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