Thursday, March 5, 2009

दूर कहीं

आख के ख्वाब आखों में ही सजे
दिल के अरमान दिल में ही उडे
आंचल देदे माँ, सब भूल जाऊ मैं
गोदी में जगह दे फ़िर से माँ
प्यार के सारे ख्वाब, उड़ने की सारी चाहतें..
तुझ में ही शांत करदे सारे
किसी से कोई शिक्वाह नही माँ, बस तेरे दामन की राहत हो
किसी गुनाह के जहनुम की परवाह नही माँ, बस तेरा हाथ मेरे सर पे हो

ले चल उसी बचपन में माँ, तेरे साथ हर पल जो बिताया
माँ मुझको सामा ले, ले चल वोही बीतें कल में, जिसमें हर वक्त तेरा ही नाम था

जीने की चाहतो से, लोगो की बातों से, अपने अरमानो से और इस जहाँ के मालिक से, .... दूर कहीं

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