रात की इस तन्हाई का आलम है, दिल में यह शोर कैसा
दर्द के इस बबेसी की तड़प है, उसपे यह सुकून कैसा
अरमानों के जंगल में अँधेरा है, दूर वो महल किसका
सुबह के बादल पिछली रात से ठहरे है, इनको इंतज़ार किसका
आसमां सुना है, हवा मद्धम है, यह उठी पुरवाई क्यों
उसकी याद में जल रहा जिया मेरा, और उसकी बेपरवाही क्यों
उमीदों और दिल के कशमकश के बिच वो मझधार कहाँ
इस बदले रंगीन सागर में वो उचा रोशन मीनार कहाँ
सबकी दुआयों के बिच टूट रहा क्यों आशियाँ मेरा
ढूंढू वो राहे फिरसे जिनसे होकर जुजरा बचपन मेरा
देने को प्यार की नदियाँ है, पर लेना वाला वो सागर कहाँ
कहने को ढेरों बातें है, पर फीर भी वो अल्फाज़ कहाँ
दर्द के इस बबेसी की तड़प है, उसपे यह सुकून कैसा
अरमानों के जंगल में अँधेरा है, दूर वो महल किसका
सुबह के बादल पिछली रात से ठहरे है, इनको इंतज़ार किसका
आसमां सुना है, हवा मद्धम है, यह उठी पुरवाई क्यों
उसकी याद में जल रहा जिया मेरा, और उसकी बेपरवाही क्यों
उमीदों और दिल के कशमकश के बिच वो मझधार कहाँ
इस बदले रंगीन सागर में वो उचा रोशन मीनार कहाँ
सबकी दुआयों के बिच टूट रहा क्यों आशियाँ मेरा
ढूंढू वो राहे फिरसे जिनसे होकर जुजरा बचपन मेरा
देने को प्यार की नदियाँ है, पर लेना वाला वो सागर कहाँ
कहने को ढेरों बातें है, पर फीर भी वो अल्फाज़ कहाँ
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