कितने कदम कितनी दूर चला हू मैं, अंदाजा नही
चलना कितनी दूर है और, इसकी कोई ख़बर नही
थके पैर सताए हर रात
पूछे …
कितनी दूर है मंजिल
दिखे न कोई हम-काफिल
क्या तू है इस ज़िनदगी के काबील
और कहे …
थक के चूर हू, पर हारा नही
तेरे आसू मुझको गवारा नही
साथ निभाया है अब तक
पहुचेंगे जरुर उस फलक तक
बस दिल में हिम्मत हो हर घड़ी
ए दोस्त है येही बात सबसे बड़ी
मैं कहू,
सीने में एक मलाल है
तुझे दिए कितने दर्द इसका ख्याल है
पुछु …
शिक्वाह तो तुझे भी होगा की क्या अस्फारिक मिला
होगा तो तुझे भी कोई गिला
और कहू …
साथ का शुक्रिया, अहसान है तेरा
तू है जीने का अहम् जरिया, भरोसा है मेरा
सफर का पता नही, अब न कोई गलती होगी
न जाने कब यह सफर पुरी होगी
पता नही और कितनी कदम कितनी दूर
वो बोला, हम है साथ हो जितने कदम जितनी दूर
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