Sunday, June 29, 2008

ओ मेरे हमदम

आज छु कर मुझे कर दे मेरी धड़कने तेज़
खोके मेरे साथ मेरी आगोश में सजा दे मेरी सेज
आज तेरी हुसन में डूब जाने दे
कल का पता नही आज तेरे शब में मुझे रंग दे
आज तेरी जिस्म की खुशबू में कर दे मेरे सारे होश गुम
की मेरे प्यार में हो जा नशीं मेरे हमदम
आज जिंदगी को कर दे जन्नतों से सराबोर
मेरी जान कल के क़यामत की परवाह कर
आज मेरे प्यार पे करले ऐतबार मेरे सनम
खुदा भी इतना नासमझ नही, यह नशा उसीका है कलम

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