Wednesday, December 19, 2007

कटी पतंग



हर वक़्त खीचा हर वक़्त तना हूँ

तेरे इस डोर से हर वकत जुडा हूँ

मेरी आरजू थी कभी खुद से उडू

खुद ही हर दिशा में बहु और सजू


पर डोर टूटी तो क्यों भाव वीभोर हूँ

और इस आज़ादी में एक अद्श्य डोर है

सोचे क्यों तेरा साथ सबसे प्यारा है

जिसके लिए जिंदगी का हर डोर गवारा है

0 comments: