
या कोई आनेवाला तूफ़ान है या मेरे जनाज़े की तय्यारी है
या खुदा नाराज़ है या बस मैं ही हूँ
……
हम भटक रहे है, सूखे सहरा में
क्या कोई हम-काफिर है क्या कोई राह-दाफिर है
क्या क़यामत पास है, या किसी नए काफिले की आस है
......
क्यों अपनों की दुरी है, क्या यह एक आदत की कोश है
या एक नई डोर के तार है, या काले बादलों का आईना है
……
क्यों तारे इतने जगमग है, क्या यह चाँद के भेजे खादिम है
क्या चाँद मुझसे ख़फा है, या बस सितारों का कोई परिहास है
……
क्या यह गीत इतना मीठा है, या आँख के दो बूंदों की बोली है
क्या यह मेरी कहानी है, यह दिल-ऐ-नादाँ मुझसे पूछता है
2 comments:
बहुत बढ़िया.
सुंदर है।
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