Saturday, May 9, 2009

तेरे साथ कुछ और ...

तेरे भरोसे पे जां लुटाने को जी करता है
हर नाजो से पाला तूने ही था
हर मुश्किलों में संभाला तू ही थी
तेरे लिए एक और गीत गाने को जी करता है
तेरे लिए एक और आंसू सीने को जी करता है

सबकी आहो और दुर्रहो को तुने ही सहा था
हर उस पल में तेरे लिए एक और अरमा सीचा था
हर उस पल में तेरी शक्ति से ही प्रेरित था
बाटू में हर वो प्यार जो तुझसे मैंने सिखा था
सबको सिख्लाऊ सहन शक्ति और श्रमा जो तेरा जीवन था

तुझको ही देखा, धरती माँ के लिए
तुझको ही माना, किसी प्यार के लिए
तुझको ही नमन, राह दर्शित मेरे लिए
तुझसे ही आशाएं, सपने कुछ तेरे लिए

तेरे साथ फ़िर वो बचपन खेलने को जी करता है
तेरे साथ कुछ और पल जीने को जी करता है

2 comments:

Himanshu Pandey said...

सुन्दर रचना । एक जगह ठहर गया, शब्द से अपरिचित हूँ - ’दुर्रहो’ का क्या तात्पर्य है?

Dev said...

मेरी कविता में इसका मतलब है - अत्याचार. टिप्पणी के लिए धन्यवाद