
शाम का जाम खाली नही हुआ पर अलवीदा कहना है
िदल के ज़ख्म भरे नही है और उसपे तन्हाई की रुसवाई है
चेहरे पे पड़े उन दागों से क्यों िदल यह बेजार है
क्यों इस लंबी रात में सुबह का मुझे इंतज़ार है
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