Wednesday, December 19, 2007

Midnight Eyes


तेरे नैना पास होके भी पास पाए ना मेरे नैना
इन घिडयों के साथ चलते चलते , तेरे लीये क्यों तके मेरे नैना
आया तेरा ख़त तो मन बावरा फीर क्यों खील उठा
जैसे हर सावन के लीए तरसे है खेत खलीहान,सच है ना
सुनी सुनी सी यह रैना मझ रात में क्यों सोचे यह सब ,समझु ना

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