Tuesday, December 25, 2007

ख्वाब धुन्दला सा











ख्वाब इतने सारे है की हकीकत की गरीबी नज़र नही आती
यादें इतने सारे है की आगे की राह नज़र नही आती
धुन्दला आकाश अँधेरी रात में मंजील नज़र नही आती

0 comments: