Wednesday, December 19, 2007

सपनों की जिंदगी

जिंदगी के अश्कों में एक दीया है

जिंदगी की लौ में जल रह मेरा जीया है

जिसके साथ मैंने हर लम्हा जीया है

सोचु क्यों जिंदगी ने फीर तुझे मिलाया है

तेरे आने से हर दीन मुसकुराया है

यह दूरी मीटा दु बस तेरी हाँ बाक़ी है


जिंदगी के सपने तेरे बीना कितना खाली है

तुझे पा सकू रब से कर रह हर आसू है

तुझे दिल का हाल कैसे बताऊ कुछ न सूझे है

पा कर खोने से डरता यह बदनसीब है

1 comments:

madhu said...

very nice dev...
really brilliant