Wednesday, February 20, 2008

काहे को दुनीया बनाई

दुनीया बनानेवाला क्या तेरे मन में समाई

काहे को दुनीया बनाई


काहे बनाया तुने माँ यह प्यारी

जीस्में बसाया सहने का शीतल जल

कोई छ्वी तो होगी आँखों में तेरी

काहे दीया प्यार इतना की जो सारी िंजंदगी साथ दे

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